सिया रघुवर जी की आरती || Siya Raghubar Ji Ki Aarti
सिया रघुवर जी की आरती ,
शुभ आरती कीजै।
शीश मुकुट काने कुंडल सोहे -२
राम लखन सिया जानकी, शुभ आरती कीजै।
सिया रघुवर जी की आरती ,
शुभ आरती कीजै।
मोर मुकुट माथे पर सोहे -२
राधा सहित घनश्याम की, शुभ आरती कीजै।
सिया रघुवर जी की आरती
शुभ आरती कीजै।
अक्षत चंदन घी की बाती -२
उमा सहित महादेव की, शुभ आरती कीजै।
सिया रघुवर जी की आरती
शुभ आरती कीजै।
मम दुख हरणी मंगल करणी-२
आरती लक्ष्मी गणेश की, शुभ आरती कीजै।
सिया रघुवर जी की आरती
शुभ आरती कीजै।
अलख निरंजन असुर निकन्दन-२
अंजनि लला हनुमान की, शुभ आरती कीजै।
सिया रघुवर जी की आरती
शुभ आरती कीजै।
रामदेव अउरी कुलदेवता -२
माता पिता गुरुदेव की, शुभ आरती कीजै।
सिया रघुवर जी की आरती
शुभ आरती कीजै।
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विनम्र अनुरोध: अपनी उपस्थिति दर्ज करने एवं हमारा उत्साहवर्धन करने हेतु कृपया टिप्पणी (comments) में जय श्री राम अवश्य अंकित करें।
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टिप्पणी - रघुवर जी की अनेक आरतियाँ लोक में प्रचलित हैं जैसे आरती कीजै श्री रघुवर जी की (aarti kije shri raghuvar ji ki), राम जी की आरती (ram ji ki aarti), आरती करिये सियावर की (aarti kariye siyavar ki), हे रघुवीर तेरी आरती गाऊँ (hey raghuvar teri aarti gaun), सिया मनमोहन लाल की शुभ आरती कीजै (Siya Manmohan Lal Ki Shubh Aarti Kije) आदि। ये सभी आरतियॉं भारत के विभिन्न भू-भागों में गायी जाती हैं और सभी को पूर्ण सम्मान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि ईश्वर तो केवल भाव के भूखे हैं, प्रेम के भूखे हैं, बस उन्हें सच्चे मन से पुकारने की आवश्यकता है।
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